Antar Yatra ke Pradesho par Kshanbhar
by Balendu Diwedi
हिंदी साहित्य के आधुनिक काल में आचार्य रामचंद्र शुक्ल का व्यक्तित्व वैविध्यमय और अनेकआयामी है।साहित्य का हर छोटा-बड़ा लेखक-पाठक अक़्सर ही उनसे दो-चार होता रहता है।आलोचना और निबंध की तो कोई परिचर्चा उनके बग़ैर अधूरी है।वे जितने बड़े आलोचक हैं क़दाचित उतने ही बड़े निबंधकार भी।तीन भागों में रचित उनके निबंध 'चिंतामणि' उनके व्यक्तित्व को अनन्यतम ऊंचाई प्रदान करते हैं।
'अंतर्यात्रा के प्रदेशों पर क्षण भर' मुख्य रूप से उनके 'चिंतामणि' भाग-एक में संकलित भाव और मनोविकार संबंधी निबंधों को ध्यान में रखकर लिखी गई है।दरअसल,आज भी यह चिंतामणि हर निबंध लेखक के लिए एक आदर्श है।हिंदी निबंध का जब भी कोई इतिहास लिखा जाएगा तो 'चिंतामणि' को शीर्षस्थ करने से बच पाना संभव न होगा।वह सभी प्रकार के निबंधों के लिए एक प्रकार से उद्गम स्थल है।निबंधों की जितनी भी शाखायें लक्षित की जा सकती हैं,वे सभी इसी चिंतामणि रूपी गंगा से निःसृत हैं और अंततः उसी में आकर मिल जाती हैं।
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